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बहुत दूर तलक है फैला, मेरे गमों का समंदर कुछ हिस्स

बहुत दूर तलक है फैला, मेरे गमों का समंदर
कुछ हिस्सा दिल के तो कुछ आँखों के अंदर

कि समेट रक्खी है मैंने, परतों में ज़िंदगी मेरी
न जाने कैसे खुल रहे हैं, परत अंदर ही अंदर

गुज़र रहा यह साल भी, बस यादों के सहारे
आ भी जाओ, कि अभी  बीता नहीं दिसंबर

किसी ने झाँक कर देखा ही नहीं अब तलक
मेरी रुह ही नहीं बसती, मिरे जिस्म के अंदर

हर कतरा ख़्वाब हो तुम, हर साँस है तुम्हारी
जितना मैं हूँ खुद में, उतना तुम हो मेरे अंदर अभी बीता नहीं दिसंबर......
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#yqdidi #hindi #love #इश्क़ #ग़ज़ल #दिसम्बर #1909avinash 
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बहुत दूर तलक है फैला, मेरे गमों का समंदर
कुछ हिस्सा दिल के तो कुछ आँखों के अंदर

कि समेट रक्खी है मैंने, परतों में ज़िंदगी मेरी
न जाने कैसे खुल रहे हैं, परत अंदर ही अंदर

गुज़र रहा यह साल भी, बस यादों के सहारे
आ भी जाओ, कि अभी  बीता नहीं दिसंबर

किसी ने झाँक कर देखा ही नहीं अब तलक
मेरी रुह ही नहीं बसती, मिरे जिस्म के अंदर

हर कतरा ख़्वाब हो तुम, हर साँस है तुम्हारी
जितना मैं हूँ खुद में, उतना तुम हो मेरे अंदर अभी बीता नहीं दिसंबर......
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अभी बीता नहीं दिसंबर...... . #yqdidi #Hindi love #इश्क़ #ग़ज़ल #दिसम्बर #1909avinash .