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Bittu Paswan Ji
अविनाश कुमार
उदासी का रंग, बिल्कुल इंतज़ार में बैठे, किसी इंसान की आँखों जैसा होता है। और प्रसन्नता का, हूबहू मेल खाता है उन सभी रंगों से, जिनकी स्याही बना कर लिखी गई प्रेम-कविताएँ। रंग ; उदासी और प्रसन्नता के . ~ अविनाश कर्ण . #yqbaba #yqdidi #hindi #hindipoetry #उदासी #प्रेम #प्रेमकविता #1909avinash
अविनाश कुमार
आसमां का सबसे खूबसूरत रंग दिखता है तब तब, जब जब एक दूजे से मिलते हैं चाँद और सूरज खिलखिलाते, मुस्कुराते हैं चेहरे रंग बिरंगा रहता है जीवन, जब मिलते हैं अपनों से अपनों के दिल रंग कई हैं इस जहाँ में मगर, सभी रंगों में सदैव सबसे खूबसूरत दिखता है “मिलन” का रंग । रंगोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएँ होली मुबारक हो ॥ Happy Holi ईश्वर आपकी ज़िंदगी को सबसे खूबसूरत रंग से भर दें। ~ अविनाश कर्ण . #yqdidi #holi #holiquote #happyholi #hindipoetry #hindi #poetry #1909avinash
अविनाश कुमार
बहुत देर कर दी, मिरे ख़्वाब में आते आते सुब्ह कर दिया यार, महताब ने आते आते— % & ★★★★★ बहुत देर कर दी, मिरे ख़्वाब में आते आते सुब्ह कर दिया यार, महताब ने आते आते . ~ अविनाश कर्ण . . .
अविनाश कुमार
ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है न जाने बेचैनी ये, क्यों हो रही है मेरी जाँ यकीनन बड़ी बे-ख़बर है कभी तो मिरे पास भी चाँद आये बताये भला, दूर क्यूँ इस कदर है जिधर से ये संगीत सा आ रहा है पुकारा हमीं ने, तुम्हें जाँ उधर है ये किस्सा वफ़ा का रहेगा हमेशा कहानी हमारी, कहाँ मुख़्तसर है ★★★ ग़ज़ल ★★★ . सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है ~ अविनाश कर्ण @1909avinash वज़्न ~ 122 122 122 122
अविनाश कुमार
हैं राज्य अलग अलग अलग सब लोग हैं जाति अलग है वर्ण अलग अलग हैं खान-पान अलग अलग सबके परिधान है एक क्या है एक देश में क्या इसकी शान है, है सवाल कठिन बहुत पर जवाब सरल है है तिरंगा शान अपनी बस एक वही पहचान है। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ जय हिंद जय भारत ~ अविनाश कर्ण . #yqdidi #hindi #independenceday #india #स्वतंत्रतादिवस #तिरंगा #आजादी #1909avinash
अविनाश कुमार
ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है चाँद का पता तो बस सितारे जानते हैं ईद मुबारक . ~ अविनाश कर्ण . . वज़्न ~ १२२ १२२ १२२ १२२ .
अविनाश कुमार
दीवारें बताती हैं कि एक घर को घर होने के लिए, दीवारों के ऊपर छत का होना जरूरी है बताती है शहर की गतिमान ज़िंदगी, भरम है ये चमक, सुकून के लिए गाँव का होना जरूरी है। ( पूरी रचना अनुशीर्षक में ) ** Happy Father's Day ** . दीवारें बताती हैं कि एक घर को घर होने के लिए, दीवारों के ऊपर छत का होना जरूरी है
अविनाश कुमार
“ इंसान बनाम सरकार ” ( रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ) “ इंसान बनाम सरकार ” . इंसान हौसलों और जज़्बातों से चलता है, नासमझ जानवर चलते हैं शोर व भीड़ के हिसाब से
अविनाश कुमार
ये मकां मेरा, कभी घर भी न होगा माँ तेरा आँचल मेरे सर जो न होगा दूर कितना भी रहूँ तुम साथ रहना तू रहे तो, खोने का डर तो न होगा HAPPY MOTHER'S DAY . ये मकां मेरा, कभी घर भी न होगा माँ तेरा आँचल मेरे सर जो न होगा दूर कितना भी रहूँ तुम साथ रहना तू रहे तो खोने का डर तो न होगा