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हम भावनाओं को बहुत दूर छोड़ आए हैं, जो रिश्ते थे ह

हम भावनाओं को बहुत दूर छोड़ आए हैं,
जो रिश्ते थे ही नहीं उन्हें तोड़ आएं हैं,
अब वो दर्द होता ही नहीं,
जिसे दर्द का रिश्ता कहते हैं,
जो रिसता था, 
था कभी मगर रिश्ता नहीं,
उन बहते हुए घावों की,
की कभी मल्हम नहीं,
उन घावों को नासूर बनने छोड़ आए हैं।

©Harvinder Ahuja #भावनाओं से दूर
हम भावनाओं को बहुत दूर छोड़ आए हैं,
जो रिश्ते थे ही नहीं उन्हें तोड़ आएं हैं,
अब वो दर्द होता ही नहीं,
जिसे दर्द का रिश्ता कहते हैं,
जो रिसता था, 
था कभी मगर रिश्ता नहीं,
उन बहते हुए घावों की,
की कभी मल्हम नहीं,
उन घावों को नासूर बनने छोड़ आए हैं।

©Harvinder Ahuja #भावनाओं से दूर