वो कहते हैं हम हुलिया देख के पहचान लेते हैं,
बंदा किस मजहब का है जान लेते हैं।।
कभी 5 ट्रिलियन कभी 20 लाख करोड़ कहा,
15 लाख कि तरह हम ये भी मान लेते हैं।।
सुनते हैं अक्सर फलाँ को फलाँ अवार्ड मिला,
धंधा अच्छा है हम भी खोल दुकान लेते हैं।। #Poetry#Life#Politics#Hindi#hindipoetry#ਕਵਿਤਾ