ये जख्म पर पड़ा नमक दर्द और तकलीफ में थोड़ी चमक कभी गैरो की बातों से कभी लूटे महँगे कनक से कभी अपनो के छोटे मोटे ख्वाइशें सपनो को नही मिलती भनक हर आवाज़ जो गूंजती थी अब पायलों से मिलती है खनक अपनो बातों को किसी तरह मनाना जैसे उत्तेजना में हो जाते है सनक दिन-रात का सिलसिला बस देखते गए हर जवानी देखावती में होती छलक #rzmph #rzmph41 #bmwritingmarathon #bmmarathon2 #bmupsingh #buddymantra #poetry #rzhindi Buddy Mantra Rest Zone Aesthetic Thoughts YourQuote Didi