आंखें खुली सी रहती है इंतजार में की ज़रा नम हो जाए ज़ुबां दबी सी रहती है इख्तियार में की दर्द ज़रा कम हो जाए दिल धड़कता सा रहता तो है हर पल इसकी धड़कन को हल्की सी आवाज़ में मैने सुना तो है.. चाल की लडखडाहट महसुस करी है तूफानों से गुज़ारिश है कि ज़रा ख़त्म हो जाए। ©shivangi pradhan #अल्फाज़ #nojohindi #nojoquotes #shivangi #mywordsmythoughts #nojowords #Trees