आंसू है बड़ा बेजुबां सा.... इश्क़ नहीं आंखों का पानी.... बिना गहराई में भी ये मन डूब जाता है.... टूटा जो दिल कभी.... आंखें बेहिसाब रोता है .... कहानी जो कभी उसकी थी... आज़ वो मेरी लगती है.... पीर पराई वो क्या समझे.... जो दर्द बेहिसाब देता है.... आंसूओं की क़ीमत वो क्या जाने.... जो फ़रमान मौत का सुनाते हैं.... लिख - लिख कर क्या दिल का दर्द बताए.... कभी - कभी मुस्कुरा के हाल .... दिल का छुपाना होता है... आ गए जो तेरी याद में आंसू... तिनकों पे इल्ज़ाम लगाया जाता है.... बेतकल्लुफी में क्या कहें कि हम... शोर दिल का छुपाना होता है.... कभी तो तू आ.... तेरी याद बरबस आती है..... तेरी यादों में कितने अश्क बहाएं.... कितने अश्कों को गिन - गिनकर बताएं.... कोई पहेली सी थी तुम.... जूगनुओं के साथ आती थी.... दरख़्त की झुरमुटों से.... एकटक निहारती थी... कभी आना प्रेम स्वप्न में... मिलकर प्रणय का कोई गीत लिखेंगे... याद में तेरी कितनी जागे... कभी तो अपनी आचंल की हवा में सुला.... कभी तो मेरी आंसूओं पे रहम खा... और मेरे मरने से पहले आ.... मेरे आंसूओं की क़ीमत समझ... अब ना तू मुझे तड़पा... अब तू किसी बहाने से ही आ।। ©purvarth #आंसू