रात तू थोड़ी नींद भेज नींद में एक ख़्वाब भेज ख़्वाब में उसकी सूरत दिखा उस मनमोहिनी की मूरत दिखा सुकून की चाहत नहीं तू उसके इंतज़ार में मुझे करवटे बदलना सीखा उसके लबो की गर्मी से तू आज की रात मुझे थोड़ा सा तो तपा उसकी धड़कनें सुन सकूँ मैं इतना तो मुझे उसके काबिल बना अब ये बिछोह का दर्द मेरे वक़्त को मंजूर नहीं रात तू थोड़ा तो मेरे वक़्त पर मरहम लगा निकल पड़ा जिस सफर में रात तू मुझे ,उसकी मंजिल तो दिखा रात तू थोड़ी नींद भेज नींद में उसके ख़्वाब भेज----अभिषेक राजहंस रात तू थोड़ी नींद भेज