जाओ तुम भी अब हमे छोड़ के हम गैर ही सही, हमसे अब उतना लगाव नहीं रहा तो बैर ही सही, शायद तनहाई के वो बीज हाथों के लकीरों में बसा था, तुम क्यों रोते हो मुझे दिखाने के लिए तुम्हें तो पहले से पता था। तूने भी क्या खूब खेला है मेरी उम्मीदों को झुठला के, कब तक और झकझोड़ेगा बस इतना ही बतला दे, हर बार समझौता तेरी ही पहलू का अदा था, की मैं टूट जाऊंगा हर बार तुम्हे तो पहले से पता था। मुझे शिकायत किसी इंसान से नहीं है बस वक़्त ही गरीब है, पानी को मुट्ठी में रखने जितना ही अभी करीब है, नसीब की रेखाओं में कहां कुछ रखा था, की ख़ाक़ ही हाथ आयेगा तुम्हे तो पहले से पता था। ऐ वक़्त जा ले ये जिंदगी भी बस कुछ दिन मनमानी करने दे, मुझे भी याद हो पूरी जिंदगी में ऐसी करस्तानी करने दे, खुश हूं जो तूने बिन मांगे दिया वो बहुत उम्दा था, संभाल कहां पाया रिश्तों को तुम्हे तो पहले से पता था। पहले से पता होने के बावजूद हम अक्सर वही करते हैं जो एक अंजान शख़्स करता है। #पताथा #collab #yqdidi #yourquoteandmine Collaborating with YourQuote Didi #yqbhaskar #yqbaba