साहिल कभी बिन मझधार के चल। फ़िर देख नज़ारा और बदल।। तेरे मेरी उल्फ़त से सजी है। क़ुदरत तूं मेरे बिन कुछ नहीं कल।। बांधा है मैं ने तुझको तूं ने भी। मुझको समां क्या बांधेगा टहल।। सकता नहीं वादी मेरे बिना। अपनी बेबसी भी देख कमल।। खिलता है मेरी मां की शान को। श्री इसलिए ठहरा मेरे तल।। ©Shree Shayar श्रीधर श्री #SunSet