कोई मौत की सजा नहीं देता, जिंदगी की कोई खता भी नहीं देता, सूनी गलियां मेरा रास्ता तकती हैं, क्योंकि त्योहारों में भी विरान बाजारें मुझ पर हंसती हैं आंखों के गलियारे सूखे हैं, सभी पेड़- पौधे भी मुझ से रुठे है , फिर भी गिला नहीं बहारों से, अपना तो वास्ता ही है ठेकेदारों से, कई बार बेईमान बना हूँ,चोर बना हूँ, जमाने का सब किरदार बना हूँ, बस दुआ भगवान से इतनी ही बाकी, दोस्तों, कि जनाजा निकले तो धूम से .| बाजार और जनाजा