यूँ ढलती शाम में काली कमीज़ पहने एक छोटी सी गुलाब की महक लिए बिन कुछ कहे सुफीयाने अंदाज में उन गलियों से गुजरते हो मत पुछो कहर बरसा देते हो! Mat pucho kaher barsa dete ho