छोटी छोटी शरारतों से लोगो को अक्सर सताते थे शैतानियो से आखिर सबका दिल जो जीत जाते थे हम एक नही दो है ऐसा उम्र देख कर ही लोगो को भ्रम आता था कभी आये कोई मुश्किल तो सहारा एक दूसरे का बन जाते थे सब कहते है उसकी हँसी बिल्कुल मेरी जैसी थी या यूं कहें मेरी हँसी उसके जैसी है निकले जो साथ तो तो मैं नही वो नही साथ हम आते थे लेकिन आजकल थोड़ा खुद को अकेला पता हूँ जब आंखों से मैं भर जाता हूँ सोचता हूँ किसी की जरूरत नही पड़ती मुझे चेहरे को हँसने हँसाने के लिये कोशिशें कर लूं कितनी भी कभी कभी उन्ही यादों में जहाँ हम साथ थे थम जाता हूँ #यादें_तेरी