खूब रुलाए गए फिर सताए गए रख के सीनो पे खंजर चलाए गए उनकी नज़रे हमी पे रही आज तक जाने क्या वो कमी थी रही आज तक शक की नज़रों से देखे गए और यू खार भी होके फिर ना मनाए गए जिस्म पल दो पल का ये मेहमान हुआ खोफ-डर से कभी ना ये हैरान हुआ क्या वजह थी हमे जानकर भी ए दिल जिस्म से रूह तक आजमाए गए वक़्त में पीछे जाने को कहते है लोग अपनी बिगड़ी बनाने को कहते है लोग खुद से करके वो बीते दिनों को यू याद लिख के नज़्में सभी को सुनाए गए khoon rulaye gaye, fir hasaaye gaye #100poetries