White इस सर्दी के मौसम में बाते कमाल हों गई। मेरी मोहब्बत मेरी तमन्ना बेमिशाल हों गई।। मैं उसका जवाब वो मेरी प्रश्न सवाल हो गई। मेरा सुकुन सुख चैन वहीं मेरा हाल चाल हों गई।। वो मुस्कुराती हसीना कभी नीला पीला कभी लाल हों गई। सूट में सजी धजी मासूम सूरत होठ गुलाबी गाल हों गई।। मेरे सफर की हमसफर हमदम ऐसी साथी बहाल हों गई। गुणी ज्ञानी चहकती चिड़ियां सी मन मन्दिर की भाल हों गई।। मानो तो मै उसका सब्जी चावल वो मेरी रोटी दाल हों गई। मैं प्यासा वो जलकुआं तृप्त ह्रदय सह सुन्दर ढाल हों गई।। कर नहीं पाया उसको अपने कैमरे में कैद जैसे एक सुर सरगम लय एक ताल हों गई । हों गया इतना मग्न उसके आवाजे सुनकर। ईश्क में अब सनम वो मेरे नाल हों गई ।। नहीं छोड़ पाया उसे जब कभी बवाल हों गई। रूठकर हमसे कभी वो तीर ताल हों गई।। अपना लिया फिर एक दूजे को प्यार में एक साथ होने की संभावना निहाल हों गई।। हैं बड़ी मनचली कलि वो परी दीवानगी की मोहिनी जाल हों गई। हों गया ये दिल आशिकाना अब वो मेरे ख्वाब और ख्याल हों गई।। मन ही मन चाहती हैं मुझे रंग दे बसंती गुलाल हों गई। रह नही सकता मै बिन देखे उसे वो दिवस बाल हों है।। मैं विद्यार्थी दीवाना उसका वो रूप की रानी खाल हों गई। चाहत कि बारिश हुए तन मन में भींगे कई साल हो गई।। अहसासो के बुंदे बरसे जीवन भर सदा खुशहाल हो गई। फूलो सा खिलता रहे चेहरा भाव भूखम प्रेम महाकाल हों ।। ©Prakash Vidyarthi #good_night #कविता_शिव_की_कलम_से