ग्रामीण अर्थव्यवस्था ये कहती है आपके ये बैंकों के ATM तो आज आये हैं आढ़ती उस किसान का पारंपरिक ATM है। किसान को बेटी की शादी करनी हो, भुआ का भात भरना हो, बहन का छुछक देना हो, बच्चों की पढ़ाई करानी हो, बाप की दवा करानी हो किसान सर पर साफा बांधता है और सीधा मंडी में आढ़ती के सामने जाकर खड़ा हो जाता है। आढ़ती किसान को सिर्फ इस विश्वास पर पैसा देता है कि फसल आएगी और किसान बैलगाड़ी या ट्रॉली में फ़सल भर कर उसके पास ले आएगा जिसको बेचकर वो अपना पैसा वसूल कर लेगा।
मैं पूछना चाहती हूं क्या वालमार्ट और टेस्को (आज के संदर्भ में अडानी और अम्बानी) किसान को पैसा उधार देंगे? क्या उन्हें संवेदना होगी किसान की बेटी की शादी या बहन का भात भरने की उन्हें तो धोती और साफे वाले किसान से बदबू आएगी और कौन डायरेक्ट बात कर सकेगा? कोई सीधे फसल खरीदेगा किसान से? अरे नई एजेंसियां, नए बिचौलिये खड़े हो जाएंगे इसलिए ये कहना कि आप बिचौलियों को या मिडिल मैन को खत्म कर देंगे ये बात सिरे से गलत है ।।
ये मैं नही कह रहा हूँ ये कह रही है bjp की एक बड़ी नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज जी। (देखिए वीडियो)
पर आज आढ़तिया सबसे बड़ा विलेन हो गया है क्योंकि उसकी जगह बड़े बिचौलियों को लेने के लिए तैयार किया जा रहा है। आज छोटा संवेदनशील बिचौलिया दलाल हो गया है वो भी उनकी दृष्टि में जो देश को उद्योगपतियों को बेचने की दलाली कर रहे है और जिनमे किसी के प्रति कोई संवेदना ही नहीं है।
यही है bjp का असली चाल चरित्र और चेहरा। #farmersprotest#kisanandolan#IndiaWithFarmers#KisanNahiToDeshNahi