"आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं, अनछुई कोई छुअन मुझको आकर छूती है; धक-धक धक-धक धक-धक धक-धक, बस धक-धक होती रहती है। क्या बताऊँ फिर क्या हालत मेरी होती है, करवटें बदल-बदल रात मेरी कटती है; आ गले लग जा कहकर परछाई तेरी, मुझे बाहों में लेकर सोती है।।" ©Anjali Singhal #feelings "आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं, अनछुई कोई छुअन मुझको आकर छूती है; धक-धक धक-धक धक-धक धक-धक, बस धक-धक होती रहती है। क्या बताऊँ फिर क्या हालत मेरी होती है,