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"आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं

"आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं,
अनछुई कोई छुअन मुझको आकर छूती है;
धक-धक धक-धक धक-धक धक-धक,
बस धक-धक होती रहती है।

क्या बताऊँ फिर क्या हालत मेरी होती है,
करवटें बदल-बदल रात मेरी कटती है;
आ गले लग जा कहकर परछाई तेरी,
मुझे बाहों में लेकर सोती है।।"

©Anjali Singhal #feelings 

"आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं,
अनछुई कोई छुअन मुझको आकर छूती है;
धक-धक धक-धक धक-धक धक-धक,
बस धक-धक होती रहती है।

क्या बताऊँ फिर क्या हालत मेरी होती है,
"आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं,
अनछुई कोई छुअन मुझको आकर छूती है;
धक-धक धक-धक धक-धक धक-धक,
बस धक-धक होती रहती है।

क्या बताऊँ फिर क्या हालत मेरी होती है,
करवटें बदल-बदल रात मेरी कटती है;
आ गले लग जा कहकर परछाई तेरी,
मुझे बाहों में लेकर सोती है।।"

©Anjali Singhal #feelings 

"आहें भर-भर धड़कनें जाने कितनी अंगड़ाइयाँ लेती हैं,
अनछुई कोई छुअन मुझको आकर छूती है;
धक-धक धक-धक धक-धक धक-धक,
बस धक-धक होती रहती है।

क्या बताऊँ फिर क्या हालत मेरी होती है,
anjalisinghal5635

Anjali Singhal

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