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कब से तुम्हारा इन्तज़ार कर रही हूं यू अकेले बैठे इ

कब से तुम्हारा इन्तज़ार कर रही हूं
यू अकेले बैठे इन्तजार करना अच्छा
नहीं लगता जल्दी आओ मुझे झीझक
सी हो आती जाती नजरें मुझे ही देख
रही है ऐसा लग रहा उनकी आखे
मुझ से सवाल कर रही है सब्र टूट
रहा है जल्दी आओ वरना मैं
चली जाऊंगी

©Babita Bucha
  #इन्तजार