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जैसे फूलों को धागे में पिरो कर माला बनती है, वैसे

जैसे फूलों को धागे में पिरो कर माला बनती है, वैसे ही शब्दों को अहसासों में पिरों कर कविता बनती है, ठीक वैसे ही सपनों को मेहनत में पिरो कर कामयाबी मिलती है।"

©Surendra
  #retro fhuul ki mala
sanjitkumar2030

Surendra

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#retro fhuul ki mala #शायरी

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