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सुनो , पहाड़ सेक दो थोड़े , और एक अलग बर्तन में नदी

सुनो , पहाड़ सेक दो थोड़े ,
और एक अलग बर्तन में
नदी का छमका लगा देना
फिर उसमे वो पहाड़ मिलाना ,

और खुशबू के लिए

धीमी मगर चलती रहे ऐसी हवा डाल देना ,
मसाले में हरे भरे पेड़ और  गुलाब के फूल

ये सब हो जाए तो ऊपर से

कुछ नीले, कुछ काले बादल बस ,
तब बुलाना, सोचूंगी मैं ।



#निर्झर  #OpenPoetry 
#Nirjhar (my pen' name) 
#poem
सुनो , पहाड़ सेक दो थोड़े ,
और एक अलग बर्तन में
नदी का छमका लगा देना
फिर उसमे वो पहाड़ मिलाना ,

और खुशबू के लिए

धीमी मगर चलती रहे ऐसी हवा डाल देना ,
मसाले में हरे भरे पेड़ और  गुलाब के फूल

ये सब हो जाए तो ऊपर से

कुछ नीले, कुछ काले बादल बस ,
तब बुलाना, सोचूंगी मैं ।



#निर्झर  #OpenPoetry 
#Nirjhar (my pen' name) 
#poem