सुनो , पहाड़ सेक दो थोड़े , और एक अलग बर्तन में नदी का छमका लगा देना फिर उसमे वो पहाड़ मिलाना , और खुशबू के लिए धीमी मगर चलती रहे ऐसी हवा डाल देना , मसाले में हरे भरे पेड़ और गुलाब के फूल ये सब हो जाए तो ऊपर से कुछ नीले, कुछ काले बादल बस , तब बुलाना, सोचूंगी मैं । #निर्झर #OpenPoetry #Nirjhar (my pen' name) #poem