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तुम्हें पता है मेरी डायरी में लिखे शुरुआती दस पन्न

तुम्हें पता है
मेरी डायरी में लिखे शुरुआती दस पन्ने
सबसे सुंदर कविताएं है ,
जिनमें सिर्फ तुम्हारा ज़िक्र किया है मैंने।
तुम्हारे छु लेने भर से मेरे दिल का धड़कना
सबसे मधुर संगीत है।
मैं नहीं लिखता हूं बार बार तुम्हारा नाम
लेकिन महज तुम्हें सोचने भर से मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है
रात भर बैचेनी में करवटें बदल कर तुम्हें याद करना दुनिया का सबसे अच्छा पाठ है
जो मैंने अब तक सीखा है।
तुम्हे तो रंग होना चाहिए था मेरी जान ,
मैं तुम्हें चादर बनाकर ओढ़ लेता सर्द रातों में।
मेरे बदन का एक हिस्सा अकड़ सा गया है
तुमने नहीं खींचा ना मेरी नाक को कई दिनों से ।
रात भर घर की लाइट को में हथेली से ढकने की कोशिश करता हूं ,
भूल जाता हूं कि वो तो तुम्हारे लंबे बाल हुआ करते थे,
जब मेरे चेहरे के एकदम पास तुम्हारा चेहरा होता था।
मेरी हथेली कि अंगुलियों के बीच में दर्द रहने लगा है
तुम्हारी अंगुलियों की गरमाहट जो नहीं मिलती अब ।
मैं भूलने लगा हूं वो तुम्हारी गर्दन पर छूटे चेचक के दाग
क्या तुम उन्हें फिर से जीवंत नहीं करोगी।
तुम्हें याद है अपने होंठो का वो स्वाद
जब तुम कहती थी ये ऐसा मीठा मीठा लगता है।
माना कुछ भूल हुई होगी मुझसे
पर समझ जाओ ना की तकलीफ़ मुझे भी रही होगी ।
क्या तुम मुझे माफ़ नहीं करोगी ?
चलो तुम अब अपना मन रखलो मत पूछना कैसा हूं में
बस अपना हाल सुना देना ।
और गर भूल जाओ मुझे अपनी व्यस्त ज़िन्दगी में
तो जब भी मिल जाऊ बस मुस्कुरा देना।
सच्ची में, कोई गिला नहीं होगा मुझे
जानता हूं ये तो प्रेम की सौगातें है
आज नहीं तो कल मिलनी है
लेकिन हमेशा अफसोस रहेगा मुझे
जितना वक़्त और बचा था वो तो सुकून दर निकल जाता।
तुम्हारे साथ...

©पूर्वार्थ
  #डायरीकेपन्नोंसे