"आँखो का गुनहगार हूँ मैं" अगर मैं गुनहगार हूँ तो सिर्फ इन आँखो का कितना इन्हें परेशां कर रखा हूँ.! बहुत झेलती है यें मुझे कभी गाली भी देती होगी तो सुनुँगा सोने नहीं देता हूँ,जगा कर रखा हूँ.! ख़ुद में क्या यें दोनों भी इक़ दूसरे से बातें करतीं होगी बताओ किसके यहाँ फ़स गयीं है यें.! शुक्रगुजार हूँ मैं इन दोनों का सोचता हूँ कभी ऐसा हो बारी बारी से इन्हें बन्द करता मैं..! इक़ सोकर आराम करतीं फ़िर दूसरी उठकर खुलती रहतीं.! मुआफ़ करना तुम दोनों ख़ुद तो जागता हूँ,तुम दोनों को जगा रखा हूँ.!! ©Shreyansh Gaurav #Beautiful_Eyes #आँखो का गुनहगार हूँ #poetry