कौन कहता हैँ शब्द की सार्थकता समाप्त हो गई हैँ या शब्द अपनी अर्थवत्ता खो चुका हैँ हां अगर मनुष्य ह्रदयहीन हो गया हैँ और उसकी चेतना लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैँ तो शब्द अपनी यात्रा एकल रूप से सम्पन्न नहीं कर पायेगा शब्द की सार्थकता........