गंगा जी का किनारा हो, और उसपे चटपटी मैगी का सहारा हो। बैराज की बैरागी हवा छूकर गुजरे, डलते सूरज की ओर नजरों का इशारा हो। साथ कुछ अपने कुछ खास हो, बीते लम्हों, अच्छी यादों की बात हो। वक़्त गुजरे ना ही ये शाम ढले, ये अद्भुत एहसास भी आज हो। ©Krishna Awasthi #gangaji #kanpur #nojoto #maa #shayri #hangout