मुझे वो गैर जरूरी इशारे जलाने है
अब तिरे भीतर हमें शरारे जलाने है
यूँ साहिल पर तो डूबना नहीं अच्छा,
तखईल की बाँहो के किनारे जलाने हैं
मेरे आफ़ताब को पूरा आसमाँ चाहिए
अब तो उसे ये सारे सितारे जलाने है
सुनो अकेले भी है यहाँ मेरा वजूद कोई,
हयात, दिखावे के सभी सहारे जलाने है। #शायरी