Nojoto: Largest Storytelling Platform

अर्सों से बैठा है वो, वहीँ जहाँ पर कोई नहीं आता ।

अर्सों से बैठा है वो,
वहीँ जहाँ पर कोई नहीं आता ।
कर्मों से बना है वो,
किसी को भी वो नहीं भाता ।
आसरा देता है वो,
पर पानी नहीं माँगा कभी;
अटल रहता है वो,
जब तक साँसे नहीं थमती ।
उसके तख्तों से, 
फिर तुम कुछ बनाते हो ।
टहनियों से सींक भी ले आते हो ।
उन्होंने बहुत कुछ देखा है,
पौध से असीम, और सीमाओं में विलीन,
दरख्तों का यही कुछ सलीका है ।
हमने उन्हीं से ये सब सीखा है । Part 1 of गाथा-ए-दरख़्त 

Click on #GathaEDarakht for more parts

#CalmKaziWrites #HindiPoetry #SimpleLines #DeepThoughts #ClimateChanges #SaveTheEnvironment #LearnFromThem #Trees #सूखापेड़ #सूखा #पेड़ #YQDidi #हिंदी
अर्सों से बैठा है वो,
वहीँ जहाँ पर कोई नहीं आता ।
कर्मों से बना है वो,
किसी को भी वो नहीं भाता ।
आसरा देता है वो,
पर पानी नहीं माँगा कभी;
अटल रहता है वो,
जब तक साँसे नहीं थमती ।
उसके तख्तों से, 
फिर तुम कुछ बनाते हो ।
टहनियों से सींक भी ले आते हो ।
उन्होंने बहुत कुछ देखा है,
पौध से असीम, और सीमाओं में विलीन,
दरख्तों का यही कुछ सलीका है ।
हमने उन्हीं से ये सब सीखा है । Part 1 of गाथा-ए-दरख़्त 

Click on #GathaEDarakht for more parts

#CalmKaziWrites #HindiPoetry #SimpleLines #DeepThoughts #ClimateChanges #SaveTheEnvironment #LearnFromThem #Trees #सूखापेड़ #सूखा #पेड़ #YQDidi #हिंदी
calmkazi6439

CalmKazi

New Creator