Nojoto: Largest Storytelling Platform

आने दो रौशनी आजादी कि छंटने दो धुल खामोशी कि दबी

आने दो रौशनी आजादी कि
छंटने दो धुल खामोशी कि

दबी हुई हसरतों को बाहर आने दो
पिंजड़े को तोड़कर पंक्षी को बाहर जाने दो

बंधी हुई बेड़ियों को आज तोड़ने दो
आजादी का नया राग छेड़ने दो

लहरों को आज मोड़ने दो
सीमाओं को आज तोड़ने दो

आने दो रौशनी आजादी कि
छंटने दो धुल खामोशी कि।

©Amit Sir KUMAR
  #Qala आने दो रौशनी आजादी कि....

#Qala आने दो रौशनी आजादी कि.... #कविता

308 Views