तराना ज़िन्दग़ी का होठों पे अपने गीत हों, हम गायें तराने प्यार के । गले लगा दे दे खुशी, जिस्म-रूह को अपने प्यार का ।। ऐ सनम ना हट रहीं, ये निगाह तेरे ललाट से । मन से तन तक है ख़ुमार, तेरे इश्क़ के ख़याल से ।। पल-पल जला हूँ मैं, तेरे प्यार के विरह की देख आग में । अब बंदिशें ना तू लगा सोने दे मुझे, अपने गेसुओं के छाँव में ।। तेरे बदन के इस ढलान पे, और वक्ष के कगार पे । बनेगा इक आशियाँ, जो होगा अपने प्यार के हीं नाम पे ।। हो दुनियाँ से विरक्त हम, डूबें रहें बस प्यार में । ना रहे ज़रा भी दूरियाँ, इक-दूजे के दरमियां में ।। देख जलने को तू है बेताब, मेरे स्पर्श की बस दरकार है । तेरे सीने से भी उठ रहा धुआं, इस बात से ना इनकार है ।। होठों पे अपने गीत हों, हम गायें तराने प्यार के । गले लगा दे दे खुशी, जिस्म-रूह को अपने प्यार का ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी तराना ज़िन्दग़ी का