आहिस्ता आहिस्ता सब कुछ समझने लगी हूं जिसकी आस में थी फिलवक्त अब कोई उम्मीद नहीं रखती हूं! आहिस्ता आहिस्ता खुद को संभालने लिखी हूं और किसी की जिंदगी में अब कोई अपना हक नहीं जताती हूं!— % & ♥️ Challenge-826 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।