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गज़ल लिखे जो मेने नाम तेरे, मेरी किताबों में! खोल

गज़ल

लिखे जो मेने नाम तेरे, मेरी किताबों में!
खोल के देखा आज एक बार फिर नज़र आये थे!

भुली-बिसरी यादो के बादल!
आँसु बन आंखों में बरस आये थे!

वो सुखे पते तेरे नाम के, जो किताबों में रखे थे मैने!
आज फिर एक पल के लिए हरे नज़र आये थे!

शक़ था मुझे तेरा, गैरों के साथ मिलने का!
गौर से देखा तुझमे तो, तुम भी गैर नज़र आये थे!

वो मेरा मोबाइल चैक करना तेरा, तो बहुत सारे कॉन्टेक्ट पाये थे!
जिन जिन पे शक़ था मुझको, वो शक़ सही नज़र आये थे!

वो दोस्तों की महफिल में, तेरा मुझे जलील करना!
ठुकरा कर प्यार मेरा दाग बदनामी के लगाये थे!

रो पङा मेरा टूटा दिल, बिखरा टुकङो में!
वफा करके भी हम क्यूँ, बेवफा कहलाये थे!

©मनीष कुमार #reading
गज़ल

लिखे जो मेने नाम तेरे, मेरी किताबों में!
खोल के देखा आज एक बार फिर नज़र आये थे!

भुली-बिसरी यादो के बादल!
आँसु बन आंखों में बरस आये थे!

वो सुखे पते तेरे नाम के, जो किताबों में रखे थे मैने!
आज फिर एक पल के लिए हरे नज़र आये थे!

शक़ था मुझे तेरा, गैरों के साथ मिलने का!
गौर से देखा तुझमे तो, तुम भी गैर नज़र आये थे!

वो मेरा मोबाइल चैक करना तेरा, तो बहुत सारे कॉन्टेक्ट पाये थे!
जिन जिन पे शक़ था मुझको, वो शक़ सही नज़र आये थे!

वो दोस्तों की महफिल में, तेरा मुझे जलील करना!
ठुकरा कर प्यार मेरा दाग बदनामी के लगाये थे!

रो पङा मेरा टूटा दिल, बिखरा टुकङो में!
वफा करके भी हम क्यूँ, बेवफा कहलाये थे!

©मनीष कुमार #reading