और यहाँ मेरे दिल की धडकन भी बढ रही थी। रास्ते पे नजर थी की शायद उसकी एक झलक ही दिख जाये। और दिल को राहत सी मिल जाये। इसी आस में बैठे थे दरवाजे पर। और हर आहट पे चौंक जाते। की शायद वो आ गया। मगर वो ना आया। आया भी तो उसके ना आने का पैगाम आया। मेरा दिल उस दिन बहोत रोया। फिर अपने ही दिल को मैने खूब मनाया। खूब समझाया। उसका आना ना आना उसकी मर्जी थी। शायद मुहब्बत मे भी छूपी उसकी खूदगर्जी थी। अगर वो खूदगर्ज था बेवफा था। प्यार उसका झूठा था फर्जी था। तो,, अच्छा ही हूवा साथ उसका छूट गया। वो खूद ही बेवजह तूझसे रुठ गया। कच्चा ही तो ऱिश्ता अच्छा हूवा टूट गया। अब घडी की सूइयाँ भी उसकी याद दिलाती नही। कोई भी आहट अब दिल की धडकन बढाती ऩही। ऩा अब वो पास है ना उससे मिलने की कोई आस है। अब मेरा ही उसे यह पैगाम देना। ना आना अब कभी ना मेरा तू नाम लेना। अब तो मूझे तेरी कोई जान पहचान ही ना होगी। तू आयेगा तो मूफ्त मे ही तेरी इज्जत निलाम होगी। इतना दर्द बाकी है अब भी इस सीने में। कितना भी तूझे रुलाये ये जलन ना कम होगी। कितना भी लिखूँ आज मगर। तेरे सितम और मेरे रहम की कहानी खतम ना होगी। -To be Contineu... #justhatelove #Last_Love #Night_Thoughts #ShilpaSalve358