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वो चांद छिप गया कहां, वो चांदनी कहां गई जो बस रही

वो चांद छिप गया कहां, वो चांदनी कहां गई
जो बस रही थी रूह में, वो रोशनी कहां गई

उदास है ये रात और फ़िज़ा भी है उमस भरी
कभी जो मेरे दिल में थी वो ताज़गी कहां गई

न चैन ना करार है, न मौसम-ए-बहार है
सुकून से भरी हुई वो ज़िंदगी कहां गई
odysseus9022

Odysseus

Bronze Star
New Creator

वो चांद छिप गया कहां, वो चांदनी कहां गई जो बस रही थी रूह में, वो रोशनी कहां गई उदास है ये रात और फ़िज़ा भी है उमस भरी कभी जो मेरे दिल में थी वो ताज़गी कहां गई न चैन ना करार है, न मौसम-ए-बहार है सुकून से भरी हुई वो ज़िंदगी कहां गई #संगीत

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