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मुझे तो मुझ पर ही तरस आती है.... बदनाम हो कर भी मु

मुझे तो मुझ पर ही तरस आती है....
बदनाम हो कर भी मुझे खुद पे रास आती है।

यूं ही नहीं हसते हम छोटे छोटे बातों पर...
टूट कर भी हमें खुशी कमाल की मिलती है।

ना जाने खुदा हमें ऐसा क्यूं बनाया है...
मासूम होने के बावजूद भी इल्जाम लगाया गया है।

बदनामी से डर नहीं है हमको...
दुनिया की बत्तर चेहरा जो सामने आया है।

लगता है सब कुछ समझ गए हैं हम सिवाए गैरों के...
पर,यहां तो अपने भी गैरों से कम नहीं हैं।😆

इंतेज़ार करने का मौका नहीं गवाते हम...
पर इंतेज़ार करने वाले को धोखा कमाल की मिलती है।

हां...कभी हम भी अजनबी थे खुद से!आज नहीं...
अपना परिचय जो हम खुद बनाए हैं।

©Aparna Nayak
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