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जब से तुझसे रग़बत हुई, कई महफ़िलों से बेग़ाना हुआ,

जब से तुझसे रग़बत हुई, कई महफ़िलों से बेग़ाना हुआ,
जिन महफ़िलों की रौनक सिर्फ़ मुझसे ही थी।
उन गलियों में भी अब तो बहुत कम आना जाना हुआ,
जिन गलियों की हवाओं में खुशबू मुझसे ही थी।

©Amit Singhal "Aseemit"
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