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#कन्यादान #कन्यादान मेरी ये कहानी विधवा पुनर्विवा

#कन्यादान #कन्यादान

मेरी ये कहानी विधवा पुनर्विवाह पर आधारित है। अपनी मर्ज़ी से कोई भी लड़की विधवा नहीं होती। ये तो नियति है जो हर कदम हमें परखने के लिये हमारे हौसले तोड़ती रहती है। किसी भी परिस्थिति में डट कर खड़े रहना, सुख की तरह दुख की भी अपनाना आना चाहिये।हर समस्या का समाधान हमारे आस पास ही होता है, बस उसे हम जितनी जल्दी देख लें उतना अच्छा।किसी अनाथ को घर देना,विधवा का घर फिर से बसाना, बुजुर्गों को और बच्चों को प्यार और सम्मान के साथ पालना, यही इंसानियत है।यही इबादत है।यही पूजा है।हम लोग धर्म के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद कर देती हैं मगर ऊपर वाले की बनाई सृष्टि को और भी खूबसूरत बनाने के लिये जो नैतिक कर्म हैं, बस वो ही नहीं करते। अब जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहाँ जो सोवत है।
#कन्यादान #कन्यादान

मेरी ये कहानी विधवा पुनर्विवाह पर आधारित है। अपनी मर्ज़ी से कोई भी लड़की विधवा नहीं होती। ये तो नियति है जो हर कदम हमें परखने के लिये हमारे हौसले तोड़ती रहती है। किसी भी परिस्थिति में डट कर खड़े रहना, सुख की तरह दुख की भी अपनाना आना चाहिये।हर समस्या का समाधान हमारे आस पास ही होता है, बस उसे हम जितनी जल्दी देख लें उतना अच्छा।किसी अनाथ को घर देना,विधवा का घर फिर से बसाना, बुजुर्गों को और बच्चों को प्यार और सम्मान के साथ पालना, यही इंसानियत है।यही इबादत है।यही पूजा है।हम लोग धर्म के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद कर देती हैं मगर ऊपर वाले की बनाई सृष्टि को और भी खूबसूरत बनाने के लिये जो नैतिक कर्म हैं, बस वो ही नहीं करते। अब जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहाँ जो सोवत है।

#कन्यादान मेरी ये कहानी विधवा पुनर्विवाह पर आधारित है। अपनी मर्ज़ी से कोई भी लड़की विधवा नहीं होती। ये तो नियति है जो हर कदम हमें परखने के लिये हमारे हौसले तोड़ती रहती है। किसी भी परिस्थिति में डट कर खड़े रहना, सुख की तरह दुख की भी अपनाना आना चाहिये।हर समस्या का समाधान हमारे आस पास ही होता है, बस उसे हम जितनी जल्दी देख लें उतना अच्छा।किसी अनाथ को घर देना,विधवा का घर फिर से बसाना, बुजुर्गों को और बच्चों को प्यार और सम्मान के साथ पालना, यही इंसानियत है।यही इबादत है।यही पूजा है।हम लोग धर्म के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद कर देती हैं मगर ऊपर वाले की बनाई सृष्टि को और भी खूबसूरत बनाने के लिये जो नैतिक कर्म हैं, बस वो ही नहीं करते। अब जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहाँ जो सोवत है।