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मैं हूँ... --------- मैं आदि भी हूँ, अन्त भी क्ष

मैं हूँ... 
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मैं आदि भी हूँ, अन्त भी
क्षणिक भी हूँ, अनंत भी
रहस्यों की गहरी गर्त हूँ, 
जो समझ सको तो-
हर एक शब्द का मैं अर्थ हूँ। 
सूरज भी हूँ, मैं चाॅंद भी
ज़मीन भी हूँ, आसमान भी 
ब्रह्मांड का मैं सार हूँ, 
तेरे अस्तित्व का प्रमाण हूँ। 
उफान उसे नदी की हूँ, 
जो विनाश की लीला रचे-
पवित्र उस हवा- सी हूँ, 
जो जीवन का पर्याय बने। 
हर ज्ञान से हूँ, मैं परे
हर समस्या का समाधान हूँ। 
मैं श्रेष्ठ हूँ, महान हूँ
ऊँचे शिखर पर विराजमान हूँ।
आराधना मैं किसकी करुॅं,
मैं ख़ुद ही जब आराध्य हूँ। 
मैं आदि भी हूँ अन्त भी, 
क्षणिक भी हूँ, अनंत भी.... 

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya
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