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कभी दूसरों का मज़ाक उड़ाया करते थे, आज खुद ही अब य

कभी दूसरों का मज़ाक उड़ाया करते थे,
आज खुद ही अब यों चोट खाये बैठे हैं।

जिस दर्द की कभी दवा बनाया करते थे,
वही रोग सीने में लाइलाज लिये बैठे हैं।

दूसरों की पीठ पीछे वार किया करते थे,
खुद की पीठ पे अब खंजर लिये बैठे हैं।

जिन ज़ख्मों को उपहार में दिया करते थे,
आज उन्हें ही दिल में बस सजाये बैठे हैं।

हम मज़ाक उड़ा कर भूल जाया करते हैं,
खुद ही किसी का अब मज़ाक बने बैठे हैं।

सफ़र में हमसफ़र साथ छोड़ जाया करते हैं,
वहीं ज़ख्म अब रूह में बेहिसाब लिये बैठे हैं।

ज़िन्दा इन्सानों में कभी शामिल हुआ करते थे,
अपनी ही मौत का कत्ल सरेआम किये बैठे हैं। #लाइलाज 
#खंजर 
#बेहिसाब
#सरेआम
#yqdidi
#yqhindi
#yqquotes
#bestyqhindiquotes
कभी दूसरों का मज़ाक उड़ाया करते थे,
आज खुद ही अब यों चोट खाये बैठे हैं।

जिस दर्द की कभी दवा बनाया करते थे,
वही रोग सीने में लाइलाज लिये बैठे हैं।

दूसरों की पीठ पीछे वार किया करते थे,
खुद की पीठ पे अब खंजर लिये बैठे हैं।

जिन ज़ख्मों को उपहार में दिया करते थे,
आज उन्हें ही दिल में बस सजाये बैठे हैं।

हम मज़ाक उड़ा कर भूल जाया करते हैं,
खुद ही किसी का अब मज़ाक बने बैठे हैं।

सफ़र में हमसफ़र साथ छोड़ जाया करते हैं,
वहीं ज़ख्म अब रूह में बेहिसाब लिये बैठे हैं।

ज़िन्दा इन्सानों में कभी शामिल हुआ करते थे,
अपनी ही मौत का कत्ल सरेआम किये बैठे हैं। #लाइलाज 
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