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दोहा।। निर्मल बालक मन रहा, जैसो साँचा ढाल।। जैसा

दोहा।।

निर्मल बालक मन रहा, जैसो साँचा ढाल।।
जैसा हलवाहा मिले, बैल चले वो चाल।।

©रजनीश "स्वच्छंद" #काव्ययात्रा_रजनीश
दोहा।।

निर्मल बालक मन रहा, जैसो साँचा ढाल।।
जैसा हलवाहा मिले, बैल चले वो चाल।।

©रजनीश "स्वच्छंद" #काव्ययात्रा_रजनीश