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पुरष एक ठाठे मारता हुआ। समुन्दर ओर नारी एक कलकल

पुरष एक ठाठे  मारता हुआ।
समुन्दर 
ओर नारी एक कलकल करती शोर मनाती
अविरल बहती नदी सी 
जिसकी नियती है 
खामोश बहकर सागर मे समाती सी 

धन निरंकार जी आपके चरणों मे प्यार भरी कोटी कोटी  
शुभ रात्री

©Hemlata v sankpal
  #Chhuan # नोजोटो # 
करत तेरी यही कहानी 
होठो  पे प्यास आँखो मे पानी

Chhuan # नोजोटो # करत तेरी यही कहानी होठो पे प्यास आँखो मे पानी

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