मां, कोख में मुझको मत मारो पुत्री होने में गलती क्या.. (कृपया अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज मां, कोख में मुझको मत मारो पुत्री होने में गलती क्या, पुत्र अगर होता कोख में, तुम रानी जैसी चलती क्या, मेरा भी जीवन व्यर्थ नही, मेरा भी जीवन, जीवन है, पिता के कपड़ों की तुरपाई, बेटी मां के चादर की सीवन है,