भीड़ भीड़ जब किसी विन्यास में व्यवस्थित हो जाती हैं तो एक श्रृंखला बन जाती है। श्रृंखला आकृति की श्रृंखला शब्दों की श्रृंखला रिश्तों की श्रृंखला आंदोलनों की जो दिशात्मक है, सृजनात्मक है। पर इसके लिए एकीकृत होना होगा किसी निमित्त के निबद्ध होना होगा इसका मतलब ये नहीं कि तुम परतंत्र हो गये या फिर भीड़ में खो गये। भीड़ में खो जाने से भयभीत न हो! क्यूँ कि रह किसी का अपना- अपना व्यक्तित्व है अस्तित्व है । इसलिए हरेक खुद में पृथक है और सशक्त है । तो भीड़ का हिस्सा बनो, खुद व्यवस्थित हो इसे व्यवस्थित करो। पारुल शर्मा #भीड़ जब किसी #विन्यास में व्यवस्थित हो जाती हैं तो एक #श्रृंखला बन जाती है। श्रृंखला #आकृति की श्रृंखला #शब्दों की श्रृंखला रिश्तों की श्रृंखला आंदोलनों की जो #दिशात्मक है, #सृजनात्मक है। पर इसके लिए #एकीकृत होना होगा