नींद से बोझिल आंखों में कुछ सपने जागते रहते हैं जब सारा आलम सोता है कुछ तिनके चुनते रहते हैं। खामोशी गुमसुम रहती है बिन बोले भी सब कहती है रात के हर इक पन्नों में बस अक्स उतारा करते हैं। सन्नाटे की इन चीखों में अनसुनी कहानी उंघती है जाने कब चांद फलक लौटे जुगनू से गुजारा करते हैं। प्रीति # नींद #सपनो_की_उडान #yqdidi