पर्दें ======== जब से मेरी जिंदगी में आए हो तुम, ये जिंदगी ओर भी जवाँ-जवाँ हो गई है, सब मुझे देखकर पुछने लगे हैं. इसका राज़,,,, अब उन्हें क्या बताऊ,,,,, कि किसी की मुहब्बत हमें दिन-ब-दिन खुबसुरत ख़्वाब दिखाती रहती हैं,,,, और हर वक्त बस उसके ही ख्यालों में बैचेन करती रहती हैं,,,,, यहाँ तक कि वो अब तो मेरी आँखों में ही आकर बस गये हैं,, जो नजरों को भी किसी ओर से नज़रे नही मिलाने देते हैं,, बस! शर्मो-हय्या के पर्दों से मेरी आँखों में छिप जाते हैं,, और इस दिल को जवाँ करते रहते हैं,,,, गीता शर्मा "प्रणय' पर्दे,,,