तेरे चौखट पर मुराद लेकर आया हूं मैं इंसान आज फिर घबराया हूं। जो देखता था तुझे अजनबी की तरह अब हर पल तुझे गले मे सजाया हूं मैं इंसान आज फिर घबराया हूं। जो हंसते थे कभी इंसाफ के जिक्र पर आज घर में ही मंदिर बनवाया हूं मैं इंसान आज फिर घबराया हूं। जो फिरते थे दौलत के गुरुर में उन्हें जिंदगी से भीख मांगते पाया हूं मैं इंसान आज फिर घबराया हूं। जो पैर कभी लौटते नहीं थे घर की ओर उन्हें आज बेड़ियों मे पाया हूं। मैं इंसान आज फिर घबराया हूं। अब एक ही दुआ सबके होठों से लाया हूं ,बक्श दे खुदा तेरी चौखट पर आंसुओं का समुंदर लाया हूं मै इंसान आज फिर घबराया हूं। नीरज नील ््््् मैं इंसान फिर घबराया हूं#