कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था,