ग़ुरूर किसका क़ायम रहा है जो तुममें है अभी वक़्त किसी का नहीं रहा है, बदलता जरूर है..! आज तुम्हें कद्र नहीं है मिरी, जानता हूँ मैं भी तु अहद ए वफ़ा भूलके,अब चलता जरूर है..! मिरी खामोशियों को मेरी कमजोरी न समझो वक़्त कभी रुकता नहीं, यें बदलता जरूर है..! क़िस फ़िराक़ में हो आज तुम, देखते नहीं हो जो आज तुम्हारा है सब,कल दूसरे का जरूर है.! नज़र से नज़र मिलाकर बोलना चाहिये तुम्हें जो छुपकर फ़िर रहा,कल निकलता जरूर है.! किसी की मज़बूरियों का फ़ायदा उठाना नहीं सब वक़्त इक़ सा नहीं होता बदलता जरूर है..!! ©Shreyansh Gaurav #gazal #वक़्त शायरी attitude Sushant Singh Rajput