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बचपन में अपने आम के बागों में जाया करते थे,

बचपन में  अपने  आम के  बागों  में  जाया  करते थे,
संग में  टोली  दोस्तों की  खूब मौज  मनाया करते थे।
पहले से गिरे  आमों को अपने  दोस्तों में  बाँट देते थे,
ख़ुद को जब खाना हो तो  झट पेड़ों पर चढ़ जाते थे।
दशहरी,लंगड़ा, हिमसागर,बीजू  आम  पहचानता था,
कब कौन आम  खाना है  भली-भांति मैं  जानता था। 
चढ़े-चढ़े ही  पेड़ों पर  आम चूस  गुठलियाँ  चलाते थे, 
रामू चाचा की आवाज़ सुनकर उतरकर भाग जाते थे। सुप्रभात सभी को🙏🙏🙏

आप सभी का हम
 
#अभिव्यक्ति_challange_mangoseason
#mangoseason में ""आम के यादगार क़िस्से"" में दिल की गहराइयों से स्वागत करते हैं।🙏

प्रिय लेखकों✍️
बचपन में  अपने  आम के  बागों  में  जाया  करते थे,
संग में  टोली  दोस्तों की  खूब मौज  मनाया करते थे।
पहले से गिरे  आमों को अपने  दोस्तों में  बाँट देते थे,
ख़ुद को जब खाना हो तो  झट पेड़ों पर चढ़ जाते थे।
दशहरी,लंगड़ा, हिमसागर,बीजू  आम  पहचानता था,
कब कौन आम  खाना है  भली-भांति मैं  जानता था। 
चढ़े-चढ़े ही  पेड़ों पर  आम चूस  गुठलियाँ  चलाते थे, 
रामू चाचा की आवाज़ सुनकर उतरकर भाग जाते थे। सुप्रभात सभी को🙏🙏🙏

आप सभी का हम
 
#अभिव्यक्ति_challange_mangoseason
#mangoseason में ""आम के यादगार क़िस्से"" में दिल की गहराइयों से स्वागत करते हैं।🙏

प्रिय लेखकों✍️