तेरी परछाई से ही, तुझ से ही नहीं तेरी परछाई से भी डर लगता है, इजहार तो कर दू मै तुम्हे पर तेरी रुसवाई से भी डर लगता है, अब तो हूँ मै तुम्हारे दिल के करीब, इजहार -ए -मोहब्बत के बाद कही खो ना दू तुम्हे इस बात से भी डर लगता है| कवि जय पटेल दीवाना Dilwala®