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किस्सा रसकपूर - रागनी 17 ले दादा मैं उल्टी आग्यी,

किस्सा रसकपूर - रागनी 17

ले दादा मैं उल्टी आग्यी, मन्ने अपणा फ़र्ज़ निम्भाया
जुग जग जियो भूरदेव तन्नै, सत्त का बीड़ा ठाया

मैं भेष बदलकै दर दर घूमी, ना साजन दिए दिखाई
सारे शहर में रुक्का पड़ रहया, राजा के गमी छाई
दुख चिन्ता में गात सूखग्या, दुश्मन करैं चढ़ाई
राजकोष कति खाली होग्या, हो रही झोझो माई
दे दे चौथ बावळा होग्या, इब कित तै आवै माया

मुसलमान पिण्डारी डाकू, दुराचारी निर्भय हो रहया सै
जागीरदार किसानां के म्ह, रोष घणा भय हो रहया सै
कोए कहै अन्यायी राजा, नशे गफलत के म्ह सो रहया सै
जयपुर भूप शर्म के मारे, सिर धरती के म्ह गो रहया सै
अफरा तफ़री मची चौगिरदे, इसा प्रजा में भय छाया

दूणी ठाकुर फतेहकंवर संग, मिलके खेल रचाग्या
जगत भूप के कान भरे मेरै, झूठी तोहमन्द लाग्या
रतनसिंह राणी का भाई, उनै मेरा यार बताग्या
राजद्रोह का बणा मुकदमा, वो मेरी कैद कराग्या
कान का कच्चा जगत भूप, मेरी कैद का हुक्म सुणाया

दबया खजाना पुरखों का इब, उसकी टोह पड़ रही सै
बियाबान कितै जंगळ के म्ह, धन माया गड्ड रही सै
ढो ढो अपणी घमण्ड गाँठड़ी, सब दुनिया सिड़ रही सै
छाप कटैया कलाकारां में, एक नई जंग छिड़ रही सै
कहै आनन्द शाहपुर निस्तरगे, ना जाता नाम कमाया

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिय

©Anand Kumar Ashodhiya #किस्सा_रसकपूर #रसकपूर

#हरयाणवी
किस्सा रसकपूर - रागनी 17

ले दादा मैं उल्टी आग्यी, मन्ने अपणा फ़र्ज़ निम्भाया
जुग जग जियो भूरदेव तन्नै, सत्त का बीड़ा ठाया

मैं भेष बदलकै दर दर घूमी, ना साजन दिए दिखाई
सारे शहर में रुक्का पड़ रहया, राजा के गमी छाई
दुख चिन्ता में गात सूखग्या, दुश्मन करैं चढ़ाई
राजकोष कति खाली होग्या, हो रही झोझो माई
दे दे चौथ बावळा होग्या, इब कित तै आवै माया

मुसलमान पिण्डारी डाकू, दुराचारी निर्भय हो रहया सै
जागीरदार किसानां के म्ह, रोष घणा भय हो रहया सै
कोए कहै अन्यायी राजा, नशे गफलत के म्ह सो रहया सै
जयपुर भूप शर्म के मारे, सिर धरती के म्ह गो रहया सै
अफरा तफ़री मची चौगिरदे, इसा प्रजा में भय छाया

दूणी ठाकुर फतेहकंवर संग, मिलके खेल रचाग्या
जगत भूप के कान भरे मेरै, झूठी तोहमन्द लाग्या
रतनसिंह राणी का भाई, उनै मेरा यार बताग्या
राजद्रोह का बणा मुकदमा, वो मेरी कैद कराग्या
कान का कच्चा जगत भूप, मेरी कैद का हुक्म सुणाया

दबया खजाना पुरखों का इब, उसकी टोह पड़ रही सै
बियाबान कितै जंगळ के म्ह, धन माया गड्ड रही सै
ढो ढो अपणी घमण्ड गाँठड़ी, सब दुनिया सिड़ रही सै
छाप कटैया कलाकारां में, एक नई जंग छिड़ रही सै
कहै आनन्द शाहपुर निस्तरगे, ना जाता नाम कमाया

गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिय

©Anand Kumar Ashodhiya #किस्सा_रसकपूर #रसकपूर

#हरयाणवी