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काश काश लिख पाती मैं वो सारे अल्फ़ाज़ , काश बत

काश 

काश लिख पाती मैं वो सारे अल्फ़ाज़  , 
काश बता पाती मैं वो सारे जज़्बात , 
काश खींच पाती मैं उसकी ज़ुबान जिसने मेरे चरित्र पर सवाल उठाया, 
जिसने बेवजह मेरे ऊपर लांछन लगाया, 
काश सिखी होती उस लड़के ने अपने घर में ये बात कि 
कैसे करते है मर्यादा में रह कर एक लड़की, एक औरत का सम्मान 
काश तोड़ पाती मैं उसकी हड्डियाँ जिसने मेरे स्वाभिमान को ही ठेस पहुँचाया, 
काश नहीं सोचा होता मैंने अपनों के बारे में उनकी दोस्ती के बारे में , 
काश सिखाया होता मैंने उस लड़के को सबक, तोड़ा होता उसका ग़ुरूर, 
दिखलाई होती उसे उसकी औकात , बताई होती उसे ये बात कि 
अगर एक लड़की सीता की तरह सीधी और शांत हो सकती है तो...
जरूरत पड़ने पर बात जब उसके अपनों पर आती हैं या फिर 
उसके चरित्र पर आए तो वह माँ काली की तरह हाहाकार भी मचा सकती है 
और द्रौपदी की तरह महाभारत भी करवा सकती हैं , काश... 
समझाई होती मैंने उसे ये बात... काश !!

©sweta Shruti
  #kaash